गिरीश सोनवानी
देवभोग : देश की आजादी के कई दशक बीत गए, लेकिन सड़क के अभाव में आज भी यह गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जी हां… हम बात कर रहे हैं गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के ग्राम पंचायत बरबहाली के आश्रित ग्राम चेरुपारा की, यहां के ग्रामीण लंबे समय से सड़क की समस्या से जूझ रहे हैं। पंचायत मुख्यालय से 4 किमी दूरी में बसे चेरुपारा की आबादी लगभग 150 है, साथ ही यहाँ के ग्रामीण विगत 100 वर्षों से यहां निवासरत हैं। सड़क की समस्या के कारण बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य सुविधाएं प्रभावित हो रहा है। ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर जिम्मेदारो तक बात पहुंचाई हैं किंतु अब तक समस्या जस का तस बना हुआ है।
बता दे कि सड़क नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं को पगडंडियों के सहारे चारपाई या पैदल 4 किमी दूरी तयकर मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता हैं, जिससे इलाज में देरी के चलते दो नवजात शिशु दुनिया मे आने से पहले ही दम तोड़ चुके हैं। जिसका जिम्मेदार यहां के ग्रामीण सड़क को मानते हैं। इस घटना के बाद से जच्चा बच्चा की सुरक्षा को लेकर ग्रामीण गम्भीर रहते हैं। ऐसा घटना दोबारा न हो इसलिए ग्रामीण गर्भवती महिलाओं को प्रसव से एक माह पूर्व ही मायके छोड़ देते हैं या फिर किसी सगे-संबंधी के घर शिफ्ट कर देते हैं।
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सड़क बनाने के लिए चेरुपारा के 11 ग्रामीणों ने सड़क बनने लायक निजी भूमि को दान कर शपथ- पत्र भर कर ग्राम पंचायत को दिया, किन्तु वर्ष 2021 में विधायक मद से मिले सीसी सड़क को आंगन में बिछा दिया गया। ताज्जुब की बात तो यह है कि कांक्रीटकरण तय मापदंड को ताक में रख कर किया गया। अगर आज वहीं कांक्रीटीकरण चेरुपारा के आंगन के बजाए सड़क बनाने लिए किया जाता तो ग्रामीणों को कुछ हद तक समस्याओं से निजात मिल जाता। इस कारण आज जिम्मेदारों के गलती का खामियाजा यहां के ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर, बेबस और लाचार की जिंदगी काटने में मजबूर हैं।