नन्हें हृदयों ने यूँ जताया प्यार…गुरुजनों के नाम समर्पित शिक्षक दिवस…
बिलाईगढ़ : विकास खण्ड बिलाईगढ़ के शासकीय प्राथमिक शाला बांसउरकुली में शिक्षक दिवस का कार्यक्रम बड़े ही आत्मीय और उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। विद्यालय के नन्हें-मुन्ने विद्यार्थियों ने अपने छोटे-छोटे हाथों से बनाए गए गुलदस्तों और कार्ड से शिक्षकों का स्वागत कर सभी का मन मोह लिया।
“गुरु दीपक की भाँति होते हैं, जो स्वयं जलकर दूसरों का मार्ग आलोकित करते हैं।”
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानपाठक विनोद कुमार डडसेना द्वारा माँ सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इसके पश्चात बच्चों ने मधुर स्वागत गीत प्रस्तुत कर वातावरण को भावनाओं से सराबोर कर दिया। रंग-बिरंगी वेशभूषा में बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य, कविता-पाठ, भाषण और गीत ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विद्यालय के शिक्षक श्री जीतेन्द्र गिरि गोस्वामी ने बच्चों को संबोधित करते हुए शिक्षक दिवस का महत्व समझाया। उन्होंने कहा— “शिक्षक केवल ज्ञानदाता नहीं, बल्कि चरित्र निर्माणकर्ता और राष्ट्र निर्माता हैं।” उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि श्रेष्ठ नागरिक बनना भी है।
“शिष्य का आदर ही गुरु का सबसे बड़ा सम्मान है।”
बच्चों ने अपने गुरुजनों को श्रीफल और उपहार भेंट कर सम्मानित किया। इसके बाद सबने मिलकर केक काटा और इस क्षण को उल्लासपूर्वक साझा किया। कार्यक्रम के समापन पर बच्चों को मिष्ठान्न और चॉकलेट वितरित किए गए, जिससे उनके चेहरों पर खुशी और भी बढ़ गई। कार्यक्रम में शाला के शिक्षकगण प्रधानपाठक विनोद कुमार डडसेना, शिक्षिका सरिता कहार, शिक्षक जीतेन्द्र गिरि गोस्वामी ,शिक्षिका ज्योति खड़िया, रसोइया राधा बाई, मानकी बाई यादव की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
प्रधानपाठक विनोद कुमार डडसेना ने कहा कि “गुरु-शिष्य का संबंध केवल कक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि यह विश्वास, स्नेह और आत्मीयता का बंधन है।” राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
“गुरु वह है, जो शिष्य को यह नहीं बताता कि क्या सोचना है, बल्कि यह सिखाता है कि स्वयं कैसे सोचना है।”