गिरीश सोनवानी
देवभोग : देवभोग ब्लॉक के नवीन सूकलीभांठा पंचायत में लगभग 1500 की आबादी निवासरत है। इस आबादी का छोटा सा भाग आश्रित ग्राम दाबरीभांठा में रहता है। गांव में 40 आदिवासी परिवार रहते हैं, जिन्हें पंचायत मूख्यालय तक जाना हो या देवभोग जाने वाली साहसखोल की पक्की सड़क तक पहुंचना हो तो बारिश के दिनों में पैदल ही जाना हो पाता है। ग्रामीण भुनेश्वर नागेश, तपी नेताम, मदन मांझी ने बताया की गांव के बसने के बाद लगातार नेता व सरपंच केवल आश्वसन देते है। सड़क कोई नही बनाता। भावुक ग्रामीणों ने बताया कि ऐसा इसलिये होता क्योंकि इस गांव में केवल 180 मतदाता रहते हैं। पंचायत चुनावों में पिछले तीन बार से एक सरपंच को इसी उम्मीद से चुनते आ रहे है कि वो सड़क बनाएगा।पर सरपंच भी दगा दे जाता है। बरसात में सड़क से जूझने के अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नही है।
दो खराब सड़को में से एक को चुनना था, जिसमे भी आधा किमी खाट में लादकर ले जाना पड़ा मरीज को :-
सड़क खराब होने के कारण रविवार को बुखार से तप रहे 15 वर्षीय जगबंधु नेताम को अस्पताल तक लाने के लिए परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। दादा जयसिंह नेताम ने बताया कि पोते को शुक्रवार से फीवर था, स्थानीय उपचार से ठीक नही हुआ, गांव में दुपहिया व चार पहिया बारिश में होने वाले दल दल सड़क के कारण नही घुस सकता था। देवभोग अस्पताल लाने के लिए साहसखोल पक्की सड़क को जोड़ने वाला रास्ता 2 किमी है, जिसमे आधा किमी का ही पेंच दलदल है इसलिए इस रास्ता को चुना। इस दलदल वाले पेंच से मरीज को पार करने खटिया में लादकर पार करना पड़ा। क्योंकि बुखार से तप रहा पोता पैदल नही चल सकता था।जयसिंह ने कहा कि पिछले कई वर्षों से ऐसी मुसीबत का सामना करते है।गर्भवती माताओं को भी ऐसे ही पार कराना पड़ता है।
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मनरेगा से स्वीकृत सड़क में नही बिछाया गया मुरम :- दाबरीभांठा से पंचायत मुख्यालय को जोड़ने वाली सूकलीभांठा मार्ग पहले पगडंडी था, मनरेगा योजना के तहत 2016 में सड़क बनाने 9 लाख की स्वीकृति मिली थी। पगडण्डी को कच्ची सड़क के स्वरूप मिट्टी से चौड़ी कर दिया गया। ऊपर में मुरम बिछाना था, कुछ मात्रा में मुरम सड़क किनारे ढेर किये गए हैं जिसे आज तक नही बिछाया गया, इसलियें ढाई किलोमीटर लंबी इस मार्ग पर बारिश हुई तो चलना मुश्किल हो जाता है।
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15 वे वित्त में अब मुरमकरण पर रोक :- पूरे ब्लॉक में जीएसबी गुणवत्ता की मुरम कही नही है। मुरम के नाम पर लाल मिट्टी डाल दिया जाता था।जिससे सड़क कीचड़ से लथपथ हो जाता था। 15 वे वित्त के कार्ययोजना में मुरम कार्य के प्रपोजल को अफसरो ने मना कर दिया है। सरपंच दयाराम बीसी ने कहा कि सड़क को कीचड़ से बचाने ग्राम विकास का यही मद ही सहारा था। अब इस काम के लिए कही से पैसे नहीं है। पंचायत मुख्यालय से जोड़ने वाले मार्ग को मैने ही अपने कार्यकाल में सड़क बनवाया। पूल निर्माण भी किया गया है। बड़े जनप्रतिनिधियो के पास मांग रखी जाती है पर कोई सुध नहीं लेता। मैं अपनी जवाबदारी का निर्वहन पूरी कर रहा हूं, पर सरपंच की दलील सुनकर यही लगता हैं कि इस आश्रित ग्राम के साथ सरपंच ने सौतेला व्यवहार किया है। चूंकि सरपंच अगर इस गांव का विकास करना चाहते तो 14 वे वित्त की राशि या इससे पूर्व कार्यकाल में भी सड़क को सुधारा जा सकता था। किंतु अब जब बात मीडिया तक पहुंची तो सरपंच 15 वे वित्त की राशि का उपयोग नहीं कर सकते यह कहते हुए बच रहें हैं। जिससे साफ जाहिर होता हैं कि सरपंच इस गांव के साथ सौतेला व्यवहार कर गांव के विकास में रोड़ा बने हैं।
वही मामले में जब हमारे संवाददाता सीईओ एम एल मंडावी से बात कि तो उन्होंने कल ही उन मार्गो का जायजा लेने की बात कही। उन्होंने कहां कि पंचायत के अलावा अन्य किसी भी योजना से सड़क की कनेक्टिविटी मुख्य सड़क से हो सके उसके लिए हर सम्भव प्रयास किये जाएंगे।