बलौदाबाजार : जिले के आदिवासी बहुल ग्राम देवरी (तहसील बलौदाबाजार) में नया प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति खुल जाने से किसानों को काफी राहत मिली है। उन्हें 12 किलोमीटर दूर उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर करमदा सोसायटी तक खाद-बीज लेने जाने की जरूरत नहीं है। समर्थन मूल्य पर धान का उपज भी गांव की सोसायटी में ही बेच रहेे हैं। इस नयी व्यवस्था से किसानों में काफी खुशी है। राज्य सरकार की प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण और किसान हितैषी नीति के चलते यह सुविधा संभव हो पाया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर बलौदाबाजार जिले में 67 नयी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां खोले गये हैं। सभी समितियों में काम-काज शुरू हो गया है। इसका सबसे ज्यादा फायदा विशेषकर छोटे किसानों को हुआ है। उन्हें सोसायटी से जुड़कर अपनी आर्थिक हालात मजबूत करने का अच्छा मौका मिला है। पहले ही साल में नई सोसायटियों ने 132 करोड़ रूपये का कारोबार कर 37 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ पहुंचाया है। नये समितियों को मिलाकर जिले में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों की संख्या बढ़कर 153 हो गई है।
बलौदाबाजार से लगभग 20 किलोमीटर दूर देवरी गांव बसा हुआ है। लगभग 90 प्रतिशत आबादी आदिवासी समाज से बनी है। ज्यादातर किसान सीमांत एवं लघु श्रेणी के हैं। उनके पास खुद के परिवहन के साधन नहीं होने के कारण करमदा सोसायटी तक जाने-आने में उन्हें काफी कठिनाई होती थी। दो-चार किसान मिलकर भाड़े की गाड़ी लेकर खाद-बीज लेने पहुंचते थे। इस कठिनाई के चलते सोसायटी के माध्यम से संचालित राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे थे। विगत 15 वर्षों से अपने गांव में समिति खोलने की मांग कर रहे थे। लेकिन उनकी बात अनसुनी रह गई। नई सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्राथमिकता के साथ किसानों की परेशानियों को महसूस किया और सोसायटी खोलने के निर्देश दिये। उनके निर्देश पर ही जिले में 67 नयी सोसायटियां खुली और लाखांे किसानों को अपने गांव अथवा आस-पास स्थित सोसायटी में खाद-बीज और धान बेचने की बुनियादी सुविधा मिल सकी है।
आदिवासी किसान श्री कल्याण सिंह नेताम ने बताया कि नई सोसायटी खुलने से ग्रामीणों में काफी खुशी है। ढाई एकड़ उनके पास कृषि भूमि है। उन्होंने इस साल अपने गांव में स्थित नई सोसायटी से 5 बोरी खाद उठाई है। 44 कट्टा धान भी बेचे हैं। इसके पहले उन्हें एक हजार रूपये गाड़ी किराया लेकर धान बेचने अथवा खाद लेने जाना पड़ता था। अन्य किसान नारद धु्रव के पास लगभग 9 एकड़ जमीन है। उन्होंने बताया कि पूर्व में धान बेचने में काफी परेशानी होती थी। कई बार रतजगा करना पड़ जाता था। लेकिन इस दफा गांव में सोसायटी खुल जाने से तमाम समस्याओं का हल अपने आप निकल आया है। गांव में धान बेचने का फड़ चिन्हित कर पक्का चबूतरा भी बना लिया गया है। कई किसान तो कांवड़ में ही धान लेकर विक्रय के लिए पहुंच जाते हैं।
समिति के प्रबंधक नीरज वर्मा ने बताया कि नई समिति में पांच गांव- देवरी, सलौनी, भांठागांव, खजुरी और पारागांव शामिल है। इसका पंजीयन क्रमांक 187 आवंटित हुआ है। समिति में धान बेचने के लिए 618 किसान पंजीकृत किये गये थे। इनमें से 417 किसानों ने लगभग 1 करोड़ 80 लाख रूपये का कारोबार किया है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत निर्मित वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट भी 175 बोरी किसानों को निर्धारित दर पर उपलब्ध कराई गई है। समिति के जरिये किसानों को बीमा सुविधा भी मुहैया कराई गई है। 351 किसानों का 2 करोड़ 17 लाख रूपये का बीमा कराया गया है। उन्होंने बताया कि पुरानी सोसायटी के अधिक दूरी और आवागमन की सुविधा नहीं होने से किसानों की लोन एवं धान बेचने में ज्यादा रूचि नहीं थी। लेकिन अब बड़ी संख्या में किसान राजीव गांधी किसान न्याय योजना सहित अन्य सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने सामने आ रहे हैं।
इन गांवों में खुली 67 नयी समितियां सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 67 नयी समितियां गठित की गई हैं। इनमें डोंगरिया, नरधा, भालूकोना, अमोदी, अहिल्दा, कुम्हारी, कोसमंदा, खैरी, गिधपुरी, गोढ़ी टी, गोपालपुर, गोलाझर, चरौदा, चिखली, जोरा, तुलसी, दतान, दुरूग, देवरी, देवरी बलौदाबाजार, दशरमा,, धनगांव, धनेली, धुर्राबांधा, नगरदा, पुरगांव, पवनी, पाटन, फुलवारी, बनसांकरा, बैलादुला, बार, बालपुर, बिटकुली, बिलारी, बोहारडीह, मुढ़ीपार, मुण्डा, मनपसार, मनोहरा, मिरगी, मोपका, रामपुर, रिकोकला, लटुवा, संकरी खिलौरा, सकरी,सुढ़ेला, सेल, सलिहा, सलौनी, साराडीह, सिंगारपुर, सिसदेवरी, सोनाखान, हिरमी, खपराडीह, जमगहन, खैरा, कोयदा, लच्छनपुर, पेण्ड्रावन, बम्हनुपुरी, कामता, धनसीर, छरछेद और जारा शामिल हैं।