मध्यप्रदेश : ग्वालियर के ऐतिहासिक डाकघर भवन पर राष्ट्रीय ध्वज की डोरी बदलने के दौरान क्रेन टूटने से तीन लोगों की मौत हो गई। हादसे में एक गंभीर रूप से घायल हुआ है। स्वतंत्रता दिवस के लिए झंडे की डोरी बदली जा रही थी। कर्मचारी क्रेन पर चढ़े ही थे कि अचानक जैक उखड़ने से क्रेन पलटी और ट्रॉली सहित कर्मचारी सिर के बल छत पर गिर गए। मृतकों में 2 नगर निगम के दमकल विभाग के कर्मचारी हैं और एक डाकघर का चौकीदार है। वह भी क्रेन की ट्रॉली पर सवार था। घटना शनिवार सुबह महाराज बाड़ा पर हुई है।
आनन-फानन में सभी को जय आरोग्य अस्पताल (जेएएच) के ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे, जहां तीन लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। सूचना मिलते ही प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट भी घटना स्थल पहुंचे हैं। घटना के बाद से कर्मचारियों में काफी आक्रोश है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला है।
शहर के महाराज बाड़ा स्थित ऐतिहासिक भवनों पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाइटिंग और सजावट की जाती है। साथ ही पुराना डाकघर भवन पर झंडा फहराया जाता है। झंडा तो यहां लगा था, लेकिन उसकी डोरी खराब थी। इसी को सही कराने के लिए डाकघर में चौकीदारी करने वाले विनोद कुमार शर्मा ने नगर निगम कार्यालय पर सूचना दी थी। सूचना पर दमकल के कर्मचारी 52 मीटर ऊंचाई वाली बड़ी क्रेन लेकर बाड़ा पहुंचे थे।
क्रेन को साइड में खड़ी कर उसकी ट्रॉली में दमकल कर्मचारी प्रदीप राजौरिया, कुलदीप डंडौतियाके साथ ही डाकघर का चौकीदार विनोद शर्मा सहित चार लोग खड़े थे। वह ट्रॉली में सवार होकर झंडे तक पहुंचे ही थे कि तभी जिस जैक पर क्रेन खड़ी थी वह टूट गया। इससे क्रेन पलट गई। क्रेन के पलटते ही ट्रॉली सहित सभी कर्मचारी नीचे आ गिरे। हादसा होते ही वहां चीख पुकार मच गई। स्थानीय लोगों ने पुलिस, नगर निगम को सूचना दी। तत्काल पुलिस वहां पहुंची और लोगों की मदद से घायलों को निकालकर एंबुलेंस से जेएएच के ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया।
ट्रॉमा सेंटर में घायलों को लेकर पहुंचे पुलिस अफसर को डॉक्टरों ने बताया कि चार घायल में से प्रदीप राजौरिया, विनोद कुमार शर्मा व कुलदीप डंडौतिया की सिर में गंभीर चोट लगने से मौत हो गई हैं। चौथे घायल कर्मचारी की हालत नाजुक बनी हुई है।
घटना की सूचना मिलते ही नगर निगम के कर्मचारी मौके पर पहुंचे हैं। अपने साथियों की इस तरह मौत के बाद वह आक्रोशित हो गए हैं। अस्पताल में हंगामा करते हुए कर्मचारियों की नगर निगम के अफसरों से बहस भी हुई। 10 बजे तक एक अपर आयुक्त के अलावा कोई भी निगम का बड़ा अफसर मौके पर नहीं पहुंचा था।