बलौदाबाजार : 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में पूरे जिले भर मनाया जा रहा है। जिला मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ खेमराज सोनवानी ने बताया कि बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास हेतु स्तनपान अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसका शिशु एवं बाल जीवितता पर अहम प्रभाव पड़ता है। जिन शिशुओं को 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 35 प्रतिशत अधिक होती है। 6 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम रोग जैसे दस्त निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11एवं 15 प्रतिशत कमी लाई जा सकती है स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है।उन्होंने आगें बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2016 में स्तनपान व ऊपरी आहार को बढ़ावा देने के लिए “मां” कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसी सिलसिले में हर वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त के बीच विश्व स्तनपान सप्ताह देश सहित जिले में भी ग्राम स्तर एवं शहरी क्षेत्रों में मनाया जा रहा है। इस वर्ष का विश्व स्तनपान सप्ताह स्तनपान की रक्षा एक साझी जिम्मेदारी की थीम पर आधारित है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि,स्तनपान कराने में माताओं का सहयोग एवं स्तनपान को बढ़ावा दिया जाए। इसके तहत प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी नियमित रूप से मां और समुदाय के साथ संपर्क में रह रहे हैं साथ ही अस्पतालों में चिकित्सा स्टाफ माताओं को इस बाबत जानकारी देते हुए प्रोत्साहित कर रहे है। ऊपर के दूध एवं बोतल के प्रयोग से होने वाली हानि तथा इसको रोकने के लिए लाए गए इन्फेंट मिल्क सब्सीट्यूट एक्ट के संबंध में अधिक से अधिक लोगों विशेषकर प्राइवेट अस्पताल के लोगों को जानकारी दी जा रही है। जिन विकासखंडों में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित हैं वहां तैनात चिकित्सक,फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर,स्टाफ नर्स,पीएनसी वार्ड में प्रतिदिन जाकर 1 घंटे के लिए स्तनपान के लाभ तथा कुपोषण से बचाव एवं रोकथाम के लिए 6 माह तक केवल मां का दूध तथा 6 माह के उपरांत संपूरक आहार के बारे में जानकारी दे रहे हैं। स्तनपान के लाभ की चर्चा करते हुए शिशु रोग विशेषज्ञ नोडल अधिकारी डॉक्टर योगेंद्र वर्मा ने बताया कि मां के दूध में शिशु की आवश्यकतानुसार पानी होता है अतः 6 माह तक ऊपर से पानी देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। इसके साथ ही स्तनपान बच्चों को बुद्धिमान बनाता है मां के पास शिशु जितना रहेगा उसमें उतनी भावनात्मक वृद्धि होती है सुरक्षा का अभाव रहता है,बच्चे में इससे कुपोषण नहीं हो पाता। नवजात शिशु को केवल मां का ही दूध दिया जाए ऊपर से कुछ भी ना दिया जाए जब तक चिकित्सक द्वारा द्वारा ना कहा जाए। नवजात शिशु की मांग के आधार पर स्तनपान कितनी भी बार कराया जा सकता है। बच्चों को चूसनी निप्पल सुथर न दिया जाए।