जोक नदी की सीना चीरकर निकाला जा रहा रेत…अवैध खनन जोरों पर….15 से 20 हजार में बेची जा रही है 1 हाईवा रेत…प्रतिदिन लाखों रुपए की राजस्व क्षती, लेकिन कार्रवाई कोसों दूर…
दिनेश देवांगन
कटगी : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में रेत तस्करों की मौज ही मौज हो गई है । जिले के कसडोल थानांतर्गत आने वाले कटगी और रामपुर में रेत तस्कर सुबह से लेकर रात तक रेत की अवैध उत्खनन और तस्करी कर रहे हैं । रेत माफियाओं के बुलंद हौसले को देखकर लगता है कि प्रशासन का कोई डर इन तस्करों को नहीं है ।
ग्रामीणों का कहना है कि नदी का सीना छलनी होते वे अपनी आंखों से देख रहे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की कुंभकर्णी नींद में सोने के कारण वो कुछ नहीं कर पा रहे हैं । ग्रामीणों का कहना है कि लगता है सब मिलजुल कर इस रेत के अवैध उत्खनन और तस्करी को बढ़ावा दे रहे हैं ।
प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से सब हैरान : ऐसा नहीं है कि ये रेत उत्खनन का कार्य रात के अंधेरे में हो रहा है । रेत उत्खनन का काम दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे में हो रहा है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते और जनप्रतिनिधियों की कुंभकर्णीय नींद में सोने के चलते कोई कार्यवाही नहीं हो रही है । सूत्र बताते हैं कि इन तस्करों के पीछे विपक्षी पार्टी के नेताओं का हाथ है, जिससे उनके हौसले बुलंद हैं । क्षेत्र के लोगों में यह चर्चा आम हो गई है कि बीजेपी की सरकार में कांग्रेस नेताओं की बल्ले – बल्ले हैं । ऐसे में एक बात तो साफ है कि इन तस्करों पर प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करना साफ इशारा कर रहा है कि “अंधेर नगरी चौपट राजा” जैसी स्थिति जिले में चल रही है ।
डेराडीह में डंपिंग का अंबार : ग्राम पंचायत डेराडीह में रेत का अंबार आपको देखने को मिलेगा । जानकारी के मुताबिक सीसी रोड निर्माण के लिए रेत डंप का बहना कर रेत को बेचा जा रहा है । रेत तस्कर सीसी रोड निर्माण का बहाना कर रेत डंप कर उसे बेच रहे हैं ।
“अवैध उत्खनन और तस्करी से नदियों का अस्तित्व खतरे में, पर्यावरण को भारी नुकसान।”
रेत के अवैध उत्खनन और तस्करी की समस्या ने प्रदेश के कई हिस्सों में विकराल रूप ले लिया है। नदियों के किनारे दिन-रात जारी खनन से न केवल प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी गड़बड़ा रहा है।
विशेषकर कटगी जैसे इलाकों में रेत माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। ट्रैक्टरों के जरिए रेत का अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे नदियों का जलस्तर घट रहा है और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ रहा है।
स्थानीय लोगों की शिकायतें अनसुनी : क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को शिकायत दी, लेकिन प्रभावशाली माफियाओं के डर के कारण उनकी आवाज दबा दी जाती है।
ग्रामीण का बयान
“हमने प्रशासन से कई बार अपील की, लेकिन हर बार हमारी बात को नजरअंदाज कर दिया गया। माफिया के लोग खुलेआम मशीनों से रेत निकालते हैं ।”
पर्यावरणीय प्रभाव
रेत खनन से नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध उत्खनन से नदी का जलस्तर कम हो रहा है, जिससे स्थानीय वनस्पति और जीव-जंतु विलुप्त होने के कगार पर हैं।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
“रेत खनन के कारण नदियों का बहाव प्रभावित हो रहा है। इससे न केवल जल संकट पैदा होगा, बल्कि बाढ़ जैसी आपदाओं का खतरा भी बढ़ेगा।”
अधिकारी क्या कह रहे हैं?
जिले के खनिज विभाग के अधिकारी कुंदन कुमार बंजारे को वॉट्सएप के माध्यम से जानकारी दी गई । उन्होंने जानकारी देने के लिए धन्यवाद कहा लेकिन उसके बाद उनके द्वारा कॉल रिसीव नहीं किया जा रहा है ।
रेत के इस अवैध व्यापार को रोकना आज के समय की बड़ी जरूरत है। यह केवल प्राकृतिक संसाधनों का मसला नहीं है, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा है। प्रशासन और समाज को साथ मिलकर इसे रोकने की दिशा में कदम उठाने होंगे।