राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में साढ़े तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या करने वाले शेखर कोर्राम (24) को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। शेखर ने पड़ोस में रहने वाली बच्ची को अगवा कर दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी। जिले में संभवत: यह पहला मामला है, जब किसी को मौत की सजा सुनाई गई हो।
दरअसल, राजनांदगांव के कोतवाली क्षेत्र में चिखली के कांकेतरा गांव में 22 अगस्त 2020 को एक बच्ची लापता हो गई। गुमशुदगी दर्ज होने पर पुलिस ने तलाश शुरू की तो पूछताछ में पता चला कि घर से करीब 100 मीटर दूर रहने वाले शेखर कोर्राम को उसके साथ देखा गया है। इस पर पुलिस ने देर शाम संदिग्ध मानकर शेखर के घर दबिश दी। तलाशी के दौरान वहां पलंग और दीवार के बीच बच्ची का शव बरामद हो गया ।
पुलिस पूछताछ में शेखर ने बताया कि वह बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर साथ ले गया था। दुष्कर्म के बाद बच्ची ने शोर मचाया तो उसने तकिए के कवर से उसका मुंह दबाकर हत्या कर दी। शव को ठिकाने लगाता इससे पहले ही पुलिस ने उसे दबोच लिया। पुलिस ने तेजी से जांच पूरी की और DNA टेस्ट रिपोर्ट के साथ 19 सितंबर को चालान पेश कर दिया। इस बीच शहर भर में बच्ची के पक्ष में प्रदर्शन और रैलियां होती रहीं।
मामले में फास्ट ट्रैक एडीजे कोर्ट ने एक साल चली सुनवाई के बाद सोमवार को शेखर कोर्राम को मौत की सजा सुना दी। जस्टिस शैलेष शर्मा ने जजमेंट में लिखा कि यह समाज के लिए घृणित हरकत और कलंक है। फैसले से मौत के बाद ही सही बच्ची को न्याय मिलेगा। बताया जा रहा है कि किसी भी मामले में यह पहली बार है, जब जिले में किसी को मौत की सजा सुनाई गई हो। वहीं लोक अभियोजक परवेज अख्तर का दावा है कि पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) एक्ट में प्रदेश में पहली बार किसी को फांसी की सजा हुई है।