कोरबा : जमीन के बदले नौकरी के लिए वर्षों से जूते-चप्पल घिस रहे वास्तविक भू-स्वामी आज भी एसईसीएल प्रबंधन की निरंकुशता का खामियाजा भुगत रहे हैं। इनकी उम्र बीतती जा रही है पर नौकरी नहीं मिल रही। दूसरी तरफ अधिकारियों की मेहरबानी से कई फर्जी लोग आज भी दूसरे की जमीन पर नौकरी कर रहे हैं।
बता दे कि कुसमुंडा परियोजना क्षेत्रांतर्गत ग्राम वैशालीनगर खम्हरिया निवासी देवाशीष श्रीवास पिताा द्वारिकानाथ श्रीवास की दादी राही बाई पति लखनलाल के नाम पर ग्राम दुरपा तहसील कटघोरा में खसरा नंबर 172/3 की जमीन थी। पूर्व में कुसमुंडा परियोजना द्वारा यह जमीन अधिग्रहित कर ली गई और जमीन के एवज में परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिलनी थी। चूंकि उस समय परिवार में नौकरी के लायक कोई सदस्य नहीं होने से नामांकन दाखिल नहीं किया गया। देवाशीष की उम्र जब नौकरी के लायक हुई और उसने शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 2016 में अपनी दादी की जमीन के एवज में नौकरी के लिए नामांकन जमा किया तो कई वर्षों तक उसे चक्कर कटवाया गया। वही कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली तब उसने विभागीय तौर पर जानकारी हासिल की। इस दौरान उन्हें ज्ञात हुआ कि उक्त खसरा नंबर 172/3 के खाता में किसी रामगोपाल पिता रतिराम को 26 मार्च 1996 को रोजगार प्रदान किया जा चुका है। नियुक्ति पत्र के अनुसार रामगोपाल को खसरा नंबर 266/1 एवं 172/3 में रकबा क्रमश: 11 डिसमिल एवं 1 एकड़ कुल रकबा 1.11 एकड़ पर रोजगार प्रदान किया गया है। उक्त व्यक्ति रामगोपाल को परिवार के लोग नहीं जानते और न कोई संबंध है। देवाशीष ने बताया कि नामांकन जमा करते समय संबंधित विभाग के अधिकारियों ने इसकी कोई जानकारी नहीं दी थी। दादी राही बाई के खाते में फर्जी रोजगार प्राप्त करने वाले रामगोपाल के विरूद्ध देवाशीष की रिपोर्ट पर कुसमुंडा पुलिस ने धारा 420 भादवि के तहत अपराध दर्ज की गई लेकिन आज 11 दिन बीत जाने के बाद भी आरोपी पर कोई कार्यवाही नही होना कई प्रश्नों को जन्म देता है। अब देखना यह होगा कि विभागीय अधिकारी इस ओर कब तक ध्यान देते है ताकि प्रार्थी को जल्द नौकरी और दोषियों को सजा मिल सके।