नगर पंचायत पवनी के इस वार्ड में गंदगी का साम्राज्य…जिम्मेदार मौन…कौन लेगा इसकी सुध…
बिलाईगढ़ : छत्तीसगढ़ के जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ अंतर्गत नगर पंचायत पवनी के वार्ड क्रमांक 15 से एक गंभीर, चिंताजनक स्थिति सामने आई है। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सरस्वती शिशु मंदिर, शासकीय कन्या स्कूल, स्वामी आत्मानंद विद्यालय और प्रसिद्ध हनुमान पदार्पण स्थल मंदिर जैसे महत्वपूर्ण जनस्थलों के पास कचरे के ढेर लगे हुए हैं।
बदबू, मक्खी-मच्छरों का प्रकोप, और सड़कों पर बिखरी गंदगी ने स्थानीय जनता, स्कूली बच्चों और श्रद्धालुओं का जीवन दूभर कर दिया है। लेकिन इस पूरे मामले में नगर पंचायत ने निगाहें मूंद ली गई हैं, जिससे लोगों में गहरा रोष और निराशा है।
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स्कूल के पीछे सड़ता कचरा…बच्चों की सेहत खतरे में :- वार्ड क्रमांक 15 स्थित स्कूलो में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चे प्रतिदिन बदबू, गंदगी और कीड़ों के बीच से होकर स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल के ठीक पीछे कचरे का अंबार जमा हो चुका है, जहाँ सड़ी-गली सब्जियां, प्लास्टिक बैग्स, मेडिकल वेस्ट देखने को मिलते हैं।
मामले में स्कूल की शिक्षक शिक्षिकाओ का कहना है कि वे बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन स्कूल के बाहर की हालत देखिए। बदबू इतनी आती है कि बच्चे उल्टियां कर देते हैं। मच्छर इतने हैं कि डेंगू, मलेरिया का डर हर समय बना रहता है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास सड़ता कचरा…बीमारियों का इनक्यूबेटर बन गया है अस्पताल क्षेत्र :- इसी वार्ड में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जो कि लोगों के इलाज और देखभाल का केंद्र है, उसके बगल में ही सड़ा हुआ कचरा, प्लास्टिक और मलबा पड़ा हुआ है। यह स्थिति सरकारी स्वास्थ्य नीति और स्वच्छ भारत मिशन का उपहास है।
अस्पताल के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम अस्पताल में मरीजों का इलाज करते हैं लेकिन बाहर की गंदगी खुद बीमारी फैला रही है।
हनुमान पदार्पण स्थल तक जाने वाले रास्ते में भी कचरे का साम्राज्य…श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ :- जिस पवनपुत्र हनुमान जिसके नाम से इस नगर का नाम पवनी पड़ा, प्रसिद्ध हनुमान पदार्पण स्थल एक धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है। यहां आसपास के गांवों से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को भीड़ अधिक रहती है।
लेकिन जिस रास्ते से होकर मंदिर तक पहुंचना होता है, वहां दोनों तरफ गंदगी, कूड़े और कूड़े कचरे का ढेर लगा है। एक स्थानीय श्रद्धालु ने बताया कि यह मंदिर हमारी आस्था का प्रतीक है, लेकिन इसके आस पास की स्थिति बदतर है।
नगर पंचायत की चुप्पी…सफाई का अभाव :- स्थानीय निवासियों के अनुसार आज तक एक बार भी सफाई नही हुई है लोगों ने सफाई कराने की मांग की है। वही एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि “यह सब कागजी सफाई है। फाइलों में रिपोर्ट भेज दी जाती है कि सफाई हो गई, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है।”
स्वच्छ भारत मिशन और नगर विकास योजनाओं का मजाक : जब केंद्र और राज्य सरकारें स्वच्छता को प्राथमिकता दे रही हैं, तो यह अभियान सिर्फ बैनर और पोस्टर तक सीमित रह गया है। शासन द्वारा नगर विकास के लिए भेजी गई करोड़ों की राशि का कहां और कैसे उपयोग हो रहा है, यह अब सवालों के घेरे में है। नगर पंचायत के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की मांग उठ रही है, क्योंकि यह स्थिति केवल लापरवाही नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई उपेक्षा भी प्रतीत होती है।
जनता की मांग…हो तत्काल सफाई…जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई :- स्थानीय नागरिकों, स्कूल प्रबंधन, स्वास्थ्य केंद्र कर्मचारियों और श्रद्धालुओं ने मांग की है कि:
1. कचरे का तत्काल निष्पादन किया जाए और सफाई का स्थायी इंतजाम हो।
2. नियमित सफाई कर्मियों की तैनाती की जाए।
3. कचरा फेंकने वालों पर जुर्माना और कार्रवाई हो।
4. नगर पंचायत द्वारा की जा रही अनदेखी के लिए जांच समिति गठित हो।
5. वार्ड में एक ठोस कचरा प्रबंधन योजना लागू हो।
कहां है जनप्रतिनिधि और प्रशासन? :- नगर पंचायत पवनी के जनप्रतिनिधि और अधिकारी पूरे मामले में मौन साधे हुए है। यह चुप्पी अब जनता को खलने लगी है। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय सभी वोट मांगने आते हैं, लेकिन अब जनता की समस्या पर कोई नहीं दिखता। अगर यही हाल रहा तो आने वाले चुनाव में जनता जवाब देगी।”
पवनी को चाहिए स्वच्छता, जवाबदेही और सम्मान : जहां एक ओर केंद्र सरकार स्वच्छ भारत का सपना दिखा रही है, वहीं इस गांव का यह वार्ड गंदगी, प्रशासनिक उपेक्षा और जन असंतोष का उदाहरण बन गया है। अब समय है कि शासन-प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लेकर स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ाए। वरना यह समस्या जल्द ही बीमारियों और जन आंदोलन का कारण बन सकती है। क्या प्रशासन जागेगाया यह गंदगी यूं ही फैली रहेगी।