रायपुर : छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा ( भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 ) में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी पद पर केवल और केवल सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी या 5 साल से अधिक का अनुभव रखने वाले प्राचार्य ही रह सकते हैं। इसके बावजूद प्रदेश के कई विकासखंडों में व्याख्याताओं को बीईओ का प्रभार सौंप दिया गया है और अनुभवी प्राचार्य तथा सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी उनका मुंह ताकने के लिए विवश है। नोटतंत्र और जुगाड़तंत्र के गठजोड़ के आगे शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम भी असहाय महसूस कर रहा है। लेकिन न्यायालय ने अपने निर्णय में इसे गलत माना और यही वजह है कि भाटापारा- बलौदाबाजार विकासखंड के बीईओ राधेलाल जायसवाल जिनका मूल पद व्याख्याता है और जो प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पद पर कसडोल में कार्यरत हैं को पद से हटाया गया है। शिक्षा विभाग की अंधेरगर्दी देखिए व्याख्याता राधे लाल जायसवाल को विकासखंड शिक्षा अधिकारी सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी रमाकांत देवांगन जो कि इस पद के हकदार थे को हटाकर बनाया गया था ऐसे में रमाकांत देवांगन ने पहले विभाग का दरवाजा खटखटाया और विभाग से सुनवाई न होने पर न्यायालय की शरण ली।
जहां न्यायालय ने उनके दावे को सही माना और माना कि व्याख्याता विकासखंड शिक्षा अधिकारी पद के लिए आवश्यकता नहीं रखते। न्यायालय के निर्णय के बाद शासन ने अब रमाकांत देवांगन को कसडोल के विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्त करते हुए राधेश्याम जायसवाल को हटाया है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि राधेश्याम जायसवाल तो हट गए पर प्रदेश में ऐसे कई विकासखंड है जहां व्याख्याता विकास खंड शिक्षा अधिकारी की कुर्सी पर बैठे हैं और जमकर नोट कमा रहे हैं। इन पर विभाग अपनी चाबुक कब चलाएगा या फिर यहां भी अनुभवी प्राचार्य और सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी न्यायालय में जाकर न्याय मांगेंगे तब जाकर ही इंसाफ होगा।
Courtesy : NPG