पुरगांव सहकारी समिति पर किसानों ने लगाए रकबा बढ़ाकर फर्जी कर्ज गढ़ने के आरोप…जनदर्शन में की शिकायत…

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पुरगांव सहकारी समिति पर किसानों ने लगाए रकबा बढ़ाकर फर्जी कर्ज गढ़ने के आरोप…जनदर्शन में की शिकायत…

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किसानों का आरोप है कि उनके रकबे में हेरफेर कर, बिना जानकारी के बनाया गया कर्जदार, कलेक्टर जनदर्शन में उठाया मामला, जांच की मांग…

बिलाईगढ़ : सारंगढ़-बिलाईगढ़ ज़िले के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति पुरगांव पर किसानों ने बड़ा आरोप लगाया है। किसानों का कहना है कि समिति द्वारा उनके रकबे (खेती की जमीन के क्षेत्रफल) में कुटरचित (फर्जी) तरीके से बढ़ोत्तरी दर्शाकर, उन्हें अनावश्यक रूप से कर्जदार बना दिया गया है।

इस गंभीर आरोप को लेकर किसानों ने कलेक्टर जनदर्शन पोर्टल (टोकन संख्या: 2310125001736) में शिकायत दर्ज कराई है और मामले की जांच व जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।

किसानों की आपबीती : शिकायत में किसानों ने बताया कि वे हर साल समिति से केसीसी (KCC) ऋण लेते हैं और धान बेचकर उसी ऋण को चुकाते हैं। समिति द्वारा धान बिक्री के समय ऋण की कटौती करके शेष राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जाती रही है। लेकिन वर्ष 2024-25 में जब उन्होंने केसीसी के लिए आवेदन किया, तो समिति ने उन्हें यह कहते हुए लोन देने से मना कर दिया कि आपका 2022-23 का ऋण अभी बाकी है।

किसानों का सवाल है : जब उन्होंने हर साल की तरह धान बेचा, समिति ने कर्ज काटा और बाकी रकम हमारे खाते में डाली—तो फिर बकाया कर्ज कैसे?

कुटरचित रकबा और गबन का संदेह : किसानों का दावा है कि इस बार उनके वास्तविक रकबे से अधिक रकबा दिखाकर उनकी जानकारी के बिना अधिक ऋण दिखाया गया है, ताकि फर्जी तरीके से अतिरिक्त राशि निकाली जा सके।

उनका आरोप है कि यह सब समिति की मिलीभगत से हुआ, जिसमें 2022-23 के तत्कालीन व्यवस्थापक और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। हमारा रकबा बढ़ाकर हम पर कर्ज दिखाया गया, लेकिन कर्ज की कोई लिखित सूचना या स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

किसानों ने अपनी शिकायत में ज़िला प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं :

1. 2022-23 से लेकर 2024-25 तक सभी ऋण, रकबा और खातों की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
2. जिन अधिकारियों/कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है, उनके खिलाफ वित्तीय गबन और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाए।
3. किसानों को वास्तविक कर्ज से मुक्त किया जाए, और जिनके साथ गड़बड़ी हुई है उन्हें मुआवज़ा दिया जाए।
4. किसानों को भविष्य में समय पर ऋण और खाद बीज उपलब्ध हो, इसके लिए समिति की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए।

जनदर्शन पोर्टल पर मामला दर्ज, जांच की उम्मीद : किसानों द्वारा यह शिकायत राज्य शासन के जनदर्शन पोर्टल (https://jandarshan.cg.nic.in) पर दर्ज की गई है। यह पोर्टल नागरिकों की समस्याएं सीधे जिला कलेक्टर और शासन तक पहुंचाने के लिए संचालित किया जाता है।जनदर्शन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, मामला दर्ज हो गया है और इसकी जांच जल्द शुरू की जाएगी।

छत्तीसगढ़ में पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले : यह मामला कोई पहला नहीं है। छत्तीसगढ़ में बीते वर्षों में सहकारी समितियों और बैंकों में फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आ चुके हैं।

क्या कहता है कानून? : भारत में कृषि ऋण से संबंधित सभी लेनदेन दस्तावेज़ीय और खातों के अनुरूप होने चाहिए। किसानों की जानकारी के बिना कोई भी ऋण उनकी जमीन या नाम पर दर्शाना प्रारंभिक तौर पर धोखाधड़ी के अंतर्गत आता है, जो IPC की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध है।

किसानों ने जताया भरोसा, कार्रवाई की आस : शिकायतकर्ताओं ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और समिति के दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है वे किसान हैं। जोत-बो कर, खून-पसीने से फसल उगाते हैं। अगर ऐसे ही समिति में बैठकर कोई फर्जी कर्ज बनाता रहेगा, तो हम कैसे आगे खेती कर पाएंगे?

छत्तीसगढ़ जैसे कृषि-प्रधान राज्य में सहकारी समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि इन्हीं संस्थाओं में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार होगा, तो किसानों का भरोसा तंत्र से उठ सकता है। पुरगांव सहकारी समिति का यह मामला शासन और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी और अवसर है—गड़बड़ी पर अंकुश लगाकर, किसानों को न्याय दिलाने का।

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