कोरबा : खातेदार की जगह किसी अन्य को एसईसीएल ने दे दी नौकरी…5 साल बाद भी नही हुई कोई कार्यवाही…नौकरी के लिए अभी भी भटक रहा पीड़ित…
कोरबा : जमीन के बदले नौकरी के लिए वर्षों से जूते-चप्पल घिस रहे वास्तविक भू-स्वामी आज भी एसईसीएल प्रबंधन की कछुआ/मनमानी चाल का खामियाजा भुगत रहे हैं। इनकी उम्र बीतती जा रही है पर नौकरी मयस्सर नहीं हो रही। दूसरी तरफ अधिकारियों की मेहरबानी से कई फर्जी लोग आज भी दूसरे की जमीन पर नौकरी कर रहे हैं।
इस तरह के एक मामले में जिसका भू स्वामी से न कोई पहचान है और न कोई रिश्ता, फिर भी एसईसीएल द्वारा ऐसे व्यक्ति को नौकरी दे दिया गया।
मामले में प्रार्थी देवाशीष श्रीवास ने बताया कि उनकी दादी राही बाई पति लखन लाल के नाम पर ग्राम दुरपा, तह कटघोरा, जिला कोरबा में खसरा नंबर 172/3 रकबा 01 एकड़ भूमि स्थित थी। उक्त भूमि को कोयला उत्खनन के लिए एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र द्वारा अधिगृहित की गयी थी। अधिग्रहण के समय योग्य बालिक उम्मीदवार नही होने के कारण उनकी दादी राही बाई द्वारा रोजगार हेतु किसी को नामित नही किया गया था। 2016 मे उनके बालिक होने पर उनकी दादी द्वारा उन्हें नामित किये जाने पर रोजगार हेतु नामांकन पत्र एसईसीएल कुसमुंडा में जमा किया गया था। उसके पश्चात कुसमुंडा प्रशासन द्वारा पत्र क्र. एसईसीएल/मप्र./क्षेत्र/भू. रा./16/337 दिनांक 17/09/2016 के द्वारा सम्पूर्ण दस्तावेज की मांग 30 दिवस के अंदर जमा करने को कहा गया जिसे उनके द्वारा समयसीमा में ही दस्तावेजो को जमा कर दिया गया। इसके पश्चात 5 वर्षो तक एसईसीएल कुसमुंडा द्वारा कार्यालय का चक्कर कटवाया गया। उसके पश्चात 2021 में मौखिक रूप से जानकारी दी गयी कि उक्त जमीन के एवज में रामगोपाल s/o रतिराम को छाल (रायगढ़ क्षेत्र) में नौकरी दिया जा चुका है। तब उनके द्वारा विभागीय कार्यवाही हेतु आवेदन एवं सूचना के अधिकार के तहत उसके सम्पूर्ण दस्तावेज जैसे जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, नामांतरण पंजी (अर्जन के पूर्व एवं बाद की कापी) एवं पेपर प्रकाशन भूमि एवं मकान के मौजा के भुगतान का विवरण, तहसील कार्यालय द्वारा निर्गत परिवार के सभी सदस्यों के विवरण, फोटोयुक्त वंश वृक्ष, बी-1, पी-2, भूमि अर्जन के पूर्व की कापी, वर्तमान में पदस्थ स्थान विभाग की मांग की गई जिसमें अब तक न ही पूर्ण जानकारी दी गई है और न ही रामगोपाल के ऊपर आज दिनांक तक कोई विभागीय कार्यवाही की गई।
देवशीष ने आगे बताया कि रामगोपाल पिता रतिराम जाति साहू जो कि दो खाता को जोड़कर फर्जी रोजगार प्राप्त किया है, जिसमे (१) खसरा न. 172/3 रकबा – 01 एकड़ जो राही बाई पति लखन लाल श्रीवास (नाई) के नाम पर दर्ज है, जिसको बहन बताया है और (२) खसरा न. 266/1 रकबा 0.06 डिस. सुजान सिंह पिता प्रताप सिंह के नाम दर्ज है जो की राजपूत (क्षत्रिय) है, जो कि राज्य शासन के रिकॉर्ड मे रकबा 0.06 डिसमिस दर्ज है, जिसे स्वयं सुजान सिंह ने पुलिस बयान मे अपना जमीन नही होना तथा किसी रामगोपाल पिता रतिराम को नही जानना बताया है। जबकि रामगोपाल द्वारा शपथ पत्र मे सुजान सिंह के नाम को सम्मिलित कर स्वयं का होना बतलाया गया है जो ग्राम डोडकी, थाना सक्ती जिला सक्ती (छत्तीसगढ़) का मूल निवासी है। जिसने रोजगार हेतु दो बार गलत शपथ पत्र जिसमे पहले शपथ पत्र मे 0.06 डिसमिल और दूसरे शपथ पत्र मे 0.11 डिसमिल प्रदर्शित किया है और अपने आप को दुरपा ग्राम का मूल निवासी बताया है जो गलत है, वही एस.ई.सी.एल द्वारा बिना कोई जाँच किये नियुक्ति पत्र को 0.11 डिसमिल का दर्शाया गया है, जो पूर्णता असत्य है और जाँच का विषय है।
सूचना के अधिकारी के तहत फर्जी व्यक्ति को रोजगार दिए जाने की जानकारी होने पर उनके द्वारा उक्त बात की शिकायत किये जाने पर थाना कुसमुंडा जिला कोरबा द्वारा प्रथम सूचना 24/2022 दर्ज कर रामगोपाल पिता रतिराम के विरुद्ध धारा 420 का अपराध दर्ज किया गया उसके पश्चात पुलिस जांच कार्यवाही एवं विवेचना उपरांत 467, 468, 471 भा.द.वि. का अपराध पाए जाने पर माननीय न्यायालय न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कटघोरा के समक्ष विवेचना पश्चात आरोप प्रस्तुत कर दिया गया।
अब देखने वाली बात यह होगी कि शासन प्रशासन इस ओर कब तक ध्यान देगी। साथ ही देवाशीष की जमीन पर किसी अन्य को कैसे नौकरी मिली इसकी भी जांच शासन प्रशासन को करनी चाहिए ताकि दोषी अधिकारियों पर भी कार्यवाही हो जिससे किसी अन्य के साथ ऐसा न हो।