झाखरपारा धान खरीदी केंद्र में अकेले प्रबंधक पर कार्यवाही पर उठ रहे सवाल…बाकी जिम्मेदार अब भी बाहर…

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झाखरपारा धान खरीदी केंद्र में अकेले प्रबंधक पर कार्यवाही पर उठ रहे सवाल…बाकी जिम्मेदार अब भी बाहर…

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गिरीश सोनवानी
देवभोग : झाखरपारा सहकारी समिति के प्रभारी प्रबंधक चंदन राजपूत पर धान खरीदी में कथित गड़बड़ी और गबन के आरोप में देवभोग पुलिस द्वारा बीते दिनों कार्रवाई कर जेल भेज दिया गया है। वर्ष 2024-25 में लगभग 32.95 लाख रुपये मूल्य के 1063 क्विंटल धान की गड़बड़ी का मामला सामने आया था। हालांकि इस पूरे प्रकरण में केवल प्रभारी प्रबंधक को ही आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया है,जबकि समिति के , सदस्यों और संबंधित विभागीय अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस वजह से क्षेत्र में प्रशासनिक निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

समिति में सामूहिक जिम्मेदारी, फिर भी अकेले पर कार्रवाई : जानकारी के अनुसार, झाखरपारा धान खरीदी केंद्र में हर वर्ष की तरह इस बार भी समिति के सदस्य एवं विभागीय अधिकारी की मौजूदगी में धान की खरीदी और परिवहन की प्रक्रिया पूरी की गई थी हर खरीदी के बाद दस्तावेजों पर सभी संबंधितों के हस्ताक्षर किए गए और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी गई। इसके बावजूद विभाग ने पूरे मामले में एकमात्र व्यक्ति प्रभारी प्रबंधक चंदन राजपूत को जिम्मेदार ठहराया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब धान खरीदी एक सामूहिक प्रक्रिया है तो गड़बड़ी में एक व्यक्ति को ही दोषी ठहराना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।

ग्रामीणों ने की निष्पक्ष जांच की मांग : ग्रामीणों और समिति से जुड़े कई लोगों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है उनका कहना है कि खरीदी में शामिल अन्य जिम्मेदारों और सदस्यों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए ताकि असली दोषियों की पहचान हो सके। लोगों का आरोप है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को बचाने के लिए एक अकेले व्यक्ति को बलि का बकरा बनाया गया है।

तीन-तीन बार हुआ भौतिक सत्यापन फिर भी नहीं पकड़ी गई गड़बड़ी : सूत्रों के अनुसार धान खरीदी से लेकर परिवहन तक तीन बार भौतिक सत्यापन किया गया था समिति के नोडल अधिकारी के रूप में पीएचई विभाग के इंजीनियर सिदार की जिम्मेदारी थी। सवाल यह है कि जब तीन-तीन बार भौतिक सत्यापन हुआ तब यह कमी क्यों नहीं पाई गई अब जब मामला सामने आया है तो जांच टीम की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि या तो सत्यापन टीम ने लापरवाही की या फिर किसी स्तर पर मामले को दबाने की कोशिश हुई।

प्रशासन से जवाब की प्रतीक्षा : फिलहाल विभागीय जांच जारी है लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यदि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच नहीं की गई तो सच्चाई सामने नहीं आएगी। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि शासन निष्पक्षता बरते और सभी जिम्मेदारों पर समान रूप से कार्रवाई करे।

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